Thursday, 2 May 2024

पीलीभीत की लड़ाई क्यों है खास, तीन दशक से रहा है गांधी परिवार का राज

Uttar Pradesh News:  देशभर में लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। 19 अप्रैल से पहला चरण में…

पीलीभीत की लड़ाई क्यों है खास, तीन दशक से रहा है गांधी परिवार का राज

Uttar Pradesh News:  देशभर में लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। 19 अप्रैल से पहला चरण में मतदान होंगे। वहीं उत्तर प्रदेश की 8 सीटों की चर्चा चारों ओर हो रही है, जिसमें सबसे ज्यादा चर्चित पीलीभीत लोकसभा सीट है। क्योंकि वहां से अब तक भाजपा नेता वरुण गांधी चुनाव लड़ते आए है। उत्तर प्रदेश की पीलीभीत लोकसभा सीट हमेंशा सुर्खियों में बनी रही और इसका एक लंबा इतिहास भी है। इस बार वरुण गांधी रण से बाहर हैं, एक टाइम था जब दोनों बेटों का राज था। भाजपा नेता वरुण गांधी का टिकट कटने के बाद नया प्रत्याशी जितिन प्रसाद को बनाया गया है।

1996 से रहा है मेनका-वरुण का कब्जा

आपको बता दें कि भाजपा नेता मेनका गांधी और वरुण गांधी का साल 1996 के बाद से पीलीभीत सीट पर कब्जा रहा है,  इस सीट से मेनका गांधी और वरुण गांधी चुनाव लड़ते रहे हैं। 30 साल से पीलीभीत में गांधी परिवार का जादू बरकरार है। लेकिन इस बार पार्टी ने मौजूदा सांसद वरुण गांधी के बजाय प्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद को मैदान में खड़ा किया है। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा। जिसमें देखना है कि इस बार जितिन प्रसाद भाजपा सांसद वरुण गांधी का इतिहास दोहरा पाते  है या नहीं।

जानें क्यों है खास?

मिली जानकारी के अनुसार जितिन प्रसाद का पीलीभीत में बहुत कम प्रभाव है। उन्हें अभी तक बाहरी व्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है। इस बारें में स्थानीय ग्राम प्रधान बाबूराम लोधी ने कहा, “वरुण गांधी का पीलीभीत से बहुत पुराना और गहरा नाता है। यह नाता उस भावनात्मक पत्र में झलकता है जो उन्होंने सीट से टिकट नहीं मिलने के बाद लिखा था।” टिकट कटने के बाद सांसद वरुण गांधी ने अपनी सरकार के खिलाफ निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को एक भावनात्मक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके साथ उनका रिश्ता उनकी आखिरी सांस तक बरकरार है।

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जितिन प्रसाद को मिला है टिकट

बता दें कि भाजपा प्रत्याशी जितिन प्रसाद ने साल 2004 और 2009 में लगातर शाहजहांपुर और धौरहरा निर्वाचन क्षेत्रों से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतते आए है। उसके बाद वो साल 2021 में भाजपा में शामिल हो गए। वह इस लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरने वाले उत्तर प्रदेश के एकमात्र कैबिनेट मंत्री हैं। हालांकि, उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य प्रसाद को पीलीभीत में अपनी राजनीतिक जमीन बनाने के लिये कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है।

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पीलीभीत लोकसभा सीट के बारें में

वहीं उत्तर प्रदेश के पीलीभीत को यूपी का पंजाब भी कहा जाता है, क्योंकि विभाजन के बाद पाकिस्तान से आये सिखों ने इसे आबाद किया गया था, उत्तर प्रदेश का पीलीभीत जिला सबसे ज्यादा बाघों की तादाद के लिए भी फेमस है। इसके अलावा गोमती नदी के उद्गम जल, जंगल, जमीन से सजा ये जिला अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। धान, गेंहू,गन्ना यहां की प्रमुख फसल है,  इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने वरुण गांधी का टिकट काटकर यहां से जितिन प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया है। समाजवादी पार्टी ने भी यहां से कुर्मी बिरादरी पर दांव लगाया है, सपा ने भगवत शरण गंगवार को अपना प्रत्याशी बनाया है। अब देखने है की इस सीट पर कौन बाजी मार ले जाता है, क्या बीजेपी के नेता वरुण गांधी की जगह लेने वाले जितिन प्रसाद बीजेपी की साख बचा पाएंगे। Uttar Pradesh News

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